एशा मुनशी का प्रयास: पक्षियों के पंखों से बनी अनोखी ‘फेदर लाइब्रेरी’

एशा मुनशी का प्रयास: पक्षियों के पंखों से बनी अनोखी ‘फेदर लाइब्रेरी’

आप कभी रास्ते में चलते हुए किसी पक्षी का पंख पाएँ, तो क्या आपको उसे उठाने का मन नहीं होता? ज़रूर होता है। ज़्यादातर लोग किसी न किसी पक्षी का पंख अपनी डायरी या किताब में सँभालकर रखते हैं। पक्षी होते ही इतने सुंदर और रंग-बिरंगे हैं। अहमदाबाद की एशा मुनशी भी ऐसी ही एक पक्षी-प्रेमी हैं, जिन्हें बर्ड फ़ोटोग्राफ़ी का गहरा शौक है।

लॉकडाउन के दौरान उनके आँगन में एक इंडियन सिल्वरबिल घायल अवस्था में आया था। उस पर किसी पशु ने हमला किया था। एशा मुनशी ने उस पक्षी को तो बचा लिया, लेकिन उसके कुछ पंख झड़ गए। यही पंख देखकर उन्हें और जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने इस पर गहराई से रिसर्च किया और सोचा कि बर्ड फ़ोटोग्राफ़ी तो बहुत लोग करते हैं, लेकिन जो विद्यार्थी जूलॉजी या ऑर्निथोलॉजी पढ़ते हैं, अगर वे पक्षियों के पंखों के बारे में जानना चाहें तो? इसी सोच से एशा मुनशी ने “फेदर लाइब्रेरी” नाम की एक डिजिटल लाइब्रेरी शुरू की, जहाँ पक्षियों के पंखों से जुड़ी तमाम जानकारी मिल सके।

हाल ही में उन्होंने दुर्लभ पक्षी सूटी शियरवॉटर (Sooty Shearwater) (Ardenna grisea) का डॉक्युमेंट तैयार कर भारत का दूसरा और गुजरात का पहला रिकॉर्ड दर्ज किया है।

एशा मुनशी (फेदर लाइब्रेरी की संस्थापक और बेंगलुरु स्थित नेशनल सेंटर फ़ॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ में बर्ड-स्पेसिमेन की सहयोगी) का मानना है कि वे लोगों में अधिक जागरूकता लाना चाहती हैं। उनका कहना है, “पक्षियों का पूरा शरीर पंखों से बना होता है। सबसे छोटे पक्षी में भी कम से कम लगभग 1000 पंख होते हैं और सबसे बड़े पक्षी में लगभग 25,000 पंख होते हैं। इस तथ्य से बहुत लोग अनजान हैं।”

वर्तमान में फेदर लाइब्रेरी में 350 से अधिक पक्षियों के नमूने संरक्षित हैं, जिनमें 154 भारतीय प्रजातियाँ (किंगफ़िशर से लेकर फ़्लेमिंगो तक) शामिल हैं। गुजरात और कर्नाटक में यह लाइब्रेरी सक्रिय सहयोग से काम कर रही है और सभी प्रविष्टियाँ पूरी तरह डिजिटाइज़्ड हैं, जिन्हें फेदर लाइब्रेरी की वेबसाइट पर आसानी से खोजा जा सकता है।

गुजरात में वे अहमदाबाद की जीवदया संस्था के साथ मिलकर काम करती हैं और विद्यार्थियों और पक्षी-प्रेमियों को भी जानकारी देती हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक राज्य में जो भी पक्षी मर जाते हैं, वे फेदर लाइब्रेरी को दान किए जाते हैं। एशा मुनशी का मानना है कि अहमदाबाद और गुजरात में इस विषय पर सीखने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन इसके लिए सही जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है।

एशा मुनशी को उम्मीद है कि वे जल्द ही एक्स-रे (हड्डियों के विवरण के लिए) और सीटी स्कैन (सॉफ्ट टिश्यू विवरण के लिए) का उपयोग कर अपने प्रोजेक्ट में और मूल्य जोड़ सकेंगी। फिलहाल उन्हें केवल गुजरात और कर्नाटक में ही पंखों पर काम करने की अनुमति है, लेकिन वे अन्य राज्यों के पक्षियों पर भी काम शुरू करना चाहती हैं। उनका कहना है, “मैं बचाव केंद्रों का नेटवर्क बनाना चाहती हूँ, क्योंकि मेरा मानना है कि उनके पास एक विशाल वैज्ञानिक डेटाबेस है, जिसका उपयोग नहीं हो रहा।”

एशा मुनशी कहती हैं, “फेदर लाइब्रेरी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और समाज को कुछ सार्थक लौटाना था। एक बर्ड-वॉचर के रूप में मुझे एहसास हुआ कि हम पक्षियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उनके पंख, आवाज़ और व्यवहार हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि रखते हैं। मैं ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाना चाहती थी, जो इन जानकारियों को संरक्षित कर शोधकर्ताओं और जनता के लिए सुलभ बनाए। फेदर लाइब्रेरी गैर-आक्रामक पक्षी नमूनों का संग्रह है, जो संरक्षण, शिक्षा और वैज्ञानिक शोध में योगदान देता है।

इस प्रोजेक्ट से मेरी पक्षी-शिक्षा में रुचि और गहरी हुई, क्योंकि मैंने देखा कि ज्ञान बाँटने से लोग पक्षियों और उनके आवास की देखभाल के लिए प्रेरित हो सकते हैं। शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर, फेदर लाइब्रेरी विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और पक्षी-उत्साहियों को प्रकृति से सार्थक रूप से जुड़ने के लिए सक्षम बनाती है। अंततः मेरा उद्देश्य पक्षियों और हमारे विश्व में उनकी भूमिका के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देना और विज्ञान व समाज के बीच की दूरी को कम करना है।”

उनका मानना है कि बच्चे और लोग हमेशा अधिक जानने के लिए उत्सुक रहते हैं, और उस जिज्ञासा को अर्थपूर्ण और आकर्षक ज्ञान से पोषित करना हमारी ज़िम्मेदारी है। चाहे वह व्यावहारिक अनुभवों के माध्यम से हो, वन्यजीवन की कहानियों के ज़रिए या फिर उन्हें आउटडोर रिसर्च में मार्गदर्शन देकर—हमारे पास उनके मन को प्रकृति के चमत्कारों के लिए खोलने की कुंजी है। उनकी सीखने की चाह को पोषित कर, हम अगली पीढ़ी को प्रकृति के रक्षक, संरक्षणवादी और जागरूक नागरिक के रूप में विकसित कर सकते हैं—जिसकी आज दुनिया को पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है।” अधिक जानकारी के लिए आप www. featherlibrary.com पर जा सकते हैं।

mumbaipatrika

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