13 से 16 फरवरी, 2025 दौरान अहमदाबाद में “वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ डायबिटीज़” का आयोजन
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अहमदाबाद: डायबिटीज इंडिया और डायबिटीज इन एशिया स्टडी ग्रुप (डीएएसजी) द्वारा “वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ डायबिटीज़” का आयोजन 13 से 16 फरवरी तक अहमदाबाद में फोरम कन्वेंशन एंड सेलिब्रेशन सेंटर, क्लब ओ7 में किया जा रहा है।
सम्मेलन में हजारों डॉक्टर, शोधकर्ता और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एकत्र हुए, जहां डायबिटीज इंडिया और डायबिटीज इन एशिया स्टडी ग्रुप (डीएएसजी) ने संयुक्त रूप से अहमदाबाद डिक्लेरेशन जारी किया। डिक्लेरेशन में युवा एशियाई लोगों में टाइप 2 डायबिटीज़ (T2D) में खतरनाक वृद्धि को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई पर चर्चा की गई। दुनिया भर के 59 प्रमुख विशेषज्ञों की भागीदारी से तैयार यह घोषणापत्र प्रतिष्ठित पत्रिका डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म – रिसर्च एंड रिव्यूज़ में भी प्रकाशित हुआ है। डॉ. जितेन्द्र सिंह, मिनिस्टर ऑफ़ सायंस & टेक्नोलॉजी, गवर्मेंट ऑफ़ इण्डिया 14 फरवरी को उद्घाटन समारोह में विशेष अतिथि होंगे। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अध्यक्ष डॉ. पीटर श्वार्ज और अंतर्राष्ट्रीय एंडोक्राइनोलॉजी सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. हेलेना टीडे की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति महत्वपूर्ण होगी। डॉ. अब्दुल बासित, अध्यक्ष, डीएएसजी, डॉ. एके आज़ाद खान, अध्यक्ष, आईडीएफ एसईए, डॉ. अनिल नायक, राष्ट्रीय अध्यक्ष (2025-26), आईएमए, डॉ. नदीमा शेगा, कार्यक्रम अध्यक्ष, डीएएसजी, आदि को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
13 से 16 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का सम्पूर्ण प्रबंधन डॉ. एस. आर. अरविंद, अध्यक्ष, डायबिटीज इंडिया; डॉ. बंशी साबू, सचिव, डायबिटीज इंडिया, डॉ संजय रेड्डी, ट्रेजरर, डायबिटीज इंडिया और डॉ. शशांक जोशी, कार्यक्रम अध्यक्ष, डायबिटीज इंडिया 2025; डॉ मनोज चावला,ऑर्ग. चेर, डायबिटीज इंडिया 2025, डॉ संजीव फाटक,ऑर्ग. सेक्रेटरी, डायबिटीज इंडिया 2025 और डॉ. अमित गुप्ता, वैज्ञानिक सचिव, डायबिटीज इंडिया 2025
द्वारा किया गया है।
डॉ. राकेश पारिख, अहमदाबाद डिक्लेरेशन के प्रमुख लेखक, ने चेतावनी दी कि युवा अवस्था में डायबिटीज़ के बढ़ते मामलों से स्वास्थ्य प्रणाली पर गंभीर दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “कम उम्र में डायबिटीज़ होने से रोग की अवधि लंबी होती है, जटिलताएं बढ़ती हैं और इलाज का खर्च आसमान छूने लगता है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो पूरे एशिया में स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सकता है। सरकारों को अभी मजबूत नीतियों की जरूरत है—जैसे अनहेल्दी खाद्य पदार्थों पर कर, डायबिटीज़ की रोकथाम और शुरुआती जांच के लिए ठोस कदम।”
डायबिटीज़ इंडिया के सचिव, डॉ. बंशी साबू ने डायबिटीज़ के पीढ़ीगत प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यदि युवा महिलाओं को डायबिटीज़ होती है, तो उनके बच्चों में भी इसका खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान होने वाले मेटाबॉलिक बदलाव इसका कारण बनते हैं। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दशकों तक यह समस्या बनी रहेगी।”
DASG के अध्यक्ष, डॉ. अब्दुल बासित ने इस समस्या को पूरे एशिया की चिंता बताया। उन्होंने कहा, “भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन और मध्य पूर्व में डायबिटीज़ तेजी से बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण शहरीकरण, खानपान में बदलाव और निष्क्रिय जीवनशैली है। हमें क्षेत्रीय सहयोग और नीति-स्तर पर कार्रवाई की जरूरत है, ताकि इस महामारी को नियंत्रित किया जा सके।”
मेटाबॉलिक रोगों के विशेषज्ञ, डॉ. अनुप मिश्रा ने आहार और जीवनशैली में बदलाव की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “एशियाई खानपान अब ज्यादा प्रोसेस्ड, हाई-कैलोरी और शक्करयुक्त खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ चुका है, जबकि शारीरिक गतिविधि में भारी गिरावट आई है। जब तक पारंपरिक और स्वस्थ खानपान को फिर से अपनाने और अधिक सक्रिय जीवनशैली की दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए जाएंगे, यह संकट और गंभीर होता जाएगा।”
अहमदाबाद डिक्लेरेशन एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करता है, जिसमें नीति-निर्माताओं, स्वास्थ्य प्रणाली और समाज को युवा वर्ग में डायबिटीज़ को रोकने, जल्द पहचानने और उचित इलाज उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
विशेषज्ञों ने कहा, “यह निर्णायक क्षण है। यदि हम आज कार्रवाई नहीं करते, तो हम आने वाली पीढ़ियों को जीवनभर की स्वास्थ्य जटिलताओं और कम जीवन प्रत्याशा की ओर धकेल देंगे।”