कलर्स का ‘मंगल लक्ष्मी’ – पेरेंटिंग और आज की युवा पीढ़ी के भावनात्मक संघर्षों पर खोल रहा है जरूरी संवाद

ऐसे समय में जब पालन-पोषण सिर्फ नियमों और जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भावनाओं, अपेक्षाओं और अनकहे डर से जूझने की भी प्रक्रिया बन गया है — कलर्स का शो ‘मंगल लक्ष्मी’ (जिसमें दीपिका सिंह मुख्य भूमिका में हैं) इस सच्चाई को बेहद ईमानदारी से पर्दे पर उतार रहा है। भारतीय परिवारों की भावनात्मक परतों को उकेरने के लिए पहचाना जाने वाला यह शो अब और गहराई में जाकर उन मौन संघर्षों को दिखा रहा है, जिनसे आज की युवा पीढ़ी गुजर रही है। और साथ ही उन भावनात्मक चुनौतीपूर्ण स्थितियों को भी दिखा रहा है, जिनसे माता-पिता उन्हें समझने की कोशिश में गुजरते हैं। जो कहानी दो बहनों की थी, वह अब एक ऐसे परिवार की झलक बन गई है जहां प्यार और परवाह तो है, लेकिन साथ ही उलझन, टकराव और पीढ़ियों के बीच भावनात्मक दूरी को पाटने की लगातार कोशिशें भी मौजूद हैं।
जब बच्चे डिजिटल दुनिया में बड़े हो रहे हों, लगातार तुलना, प्रतिस्पर्धा और भावनात्मक दबाव झेल रहे हों, तो उनकी भीतरी दुनिया अक्सर नजरों से छूट जाती है। शो की यही सच्चाई दर्शाई गई है मंगल की बेटी इशाना के किरदार के जरिए — जो दिल टूटने, अस्वीकृति और खुद को देखे जाने की तड़प से गुजर रही है। वह अपने दर्द को व्यक्त नहीं करती, बल्कि उसे भीतर ही सुलगने देती है, जिससे वह जोखिम भरे फैसलों और गुप्त अपराधों की ओर बढ़ने लगती है। जहां मंगल अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए कपिल से अपनी सगाई तोड़ देती है, वहीं उसे ये अंदाजा नहीं होता कि उसके अपने ही घर में एक भावनात्मक तूफान पनप रहा है। एक चौंकाने वाले मोड़ में सौम्या पुलिस को इशाना द्वारा भेजे गए ड्रग्स की जानकारी देती है, जिसके चलते मंगल को गिरफ्तार कर लिया जाता है। पूरा परिवार स्तब्ध रह जाता है — खासकर इशाना। क्या मंगल समय रहते समझ पाएगी कि उससे क्या फिसलता जा रहा है? या फिर जब तक सच्चाई सामने आएगी, बहुत देर हो चुकी होगी?

इस गहरे भावनात्मक ट्रैक पर दीपिका सिंह कहती हैं, “आज की पेरेंटिंग सिर्फ सीमाएं तय करना या सहारा देना नहीं है — यह चुप्पियों को समझने, अनकहे डर और चिंता को महसूस करने और भावनात्मक रूप से उपलब्ध रहने की प्रक्रिया है, उस दुनिया में जो पहले से कहीं ज्यादा तेज, शोरगुल से भरी और जटिल है। हमारे बच्चे ऐसे समय में बड़े हो रहे हैं, जहां लगातार तुलना, सोशल मीडिया का दबाव और ढेरों उम्मीदें हैं। वे बहुत कुछ झेल रहे हैं — लेकिन कहने के लिए शब्द नहीं हैं। इशाना की कहानी उन किशोरों की है जो अंदर ही अंदर एक भावनात्मक खालीपन से जूझते हैं — भले ही वो प्यार करने वाले घर में ही क्यों न हों। मंगल, जैसी कि हम में से कई माताएं होती हैं, सोचती है कि वह अपनी बेटी को सबकुछ दे रही है… लेकिन कई बार सिर्फ प्यार और परवाह भी किसी बच्चे को गलत रास्ते पर जाने से नहीं रोक पाती। मुझे उम्मीद है कि यह कहानी माता-पिता को उनके बच्चों के ‘विद्रोह’ में छुपी मदद की पुकार समझने में मदद करेगी।”
देखिए ‘मंगल लक्ष्मी’, हर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर