प्रतिभा ही असली पूंजी है: फिलिप मॉरिस इंडिया ने दोहराई ‘ग्रो टैलेंट, ग्रो बिजनेस’ की प्रतिबद्धता

प्रतिभा ही असली पूंजी है: फिलिप मॉरिस इंडिया ने दोहराई ‘ग्रो टैलेंट, ग्रो बिजनेस’ की प्रतिबद्धता

विकासोन्मुख कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देते हुए, फिलिप मॉरिस इंडिया अपने कर्मचारियों को वैश्विक अवसरों, नई स्किल्स और विविध अनुभवों के माध्यम से आगे बढ़ने और नवाचार की पूरी आज़ादी दे रही है।

नई दिल्ली, 16 जून 2025: फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल इंक. (पीएमआई) की भारतीय सहयोगी कंपनी आईपीएम इंडिया ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए ‘प्रतिभा बढ़ाओ, व्यवसाय बढ़ाओ’ दृष्टिकोण को मजबूत किया है। इसका उद्देश्य एक विकासशील कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना है, जहाँ कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता के साथ नेतृत्व कर सकें और योगदान दे सकें। आईपीएम इंडिया मानती है कि विकास की धुरी प्रतिभा होती है। इसी सोच के साथ कंपनी अपने कर्मचारियों के करियर विकास को प्रोत्साहित करती है—चाहे वह योजनाबद्ध करियर संवाद हों, विभागीय या बाजारों के बीच स्थानांतरण के अवसर, या फिर व्यापक लर्निंग संसाधनों तक पहुँच। कंपनी ऑन-द-जॉब अनुभवों के साथ-साथ विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से उनके कौशल, ज्ञान और व्यवसायिक समझ को और मज़बूत करती है।

आईपीएम इंडिया उद्योग के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को जोड़ने और उन्हें प्रतिस्पर्धी भूमिकाओं, व्यापक अनुभवों, लर्निंग प्रोग्राम्स और करियर कोचिंग के माध्यम से मार्गदर्शन देने के लिए लगातार प्रयासरत है। कंपनी मानती है कि गतिशीलता विकास की आधारशिला है और इसी सोच के तहत वह कर्मचारियों को क्रॉस-फंक्शनल और क्रॉस-मार्केट के साथ-साथ वैश्विक और क्षेत्रीय अनुभवों से जोड़ती है। इससे उन्हें विविध सांस्कृतिक दृष्टिकोणों को समझने और संगठन की दीर्घकालिक रणनीतियों में योगदान देने का अवसर मिलता है। इस प्रक्रिया में व्यक्तिगत विकास को संगठन के लक्ष्यों से जोड़ा जाता है।

आईपीएम इंडिया अपने कर्मचारियों की प्रगति, प्रभाव और कल्याण के प्रति पूरी तरह समर्पित है। कंपनी उन्हें अनुकूल वातावरण, आवश्यक सहयोग और संसाधन उपलब्ध कराकर उनके करियर और व्यावसायिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है। यह प्रतिबद्धता सिर्फ नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे संगठन की कार्य संस्कृति, जिसे ‘पीएमआई डीएनए’ कहा जाता है, में भी समाहित किया गया है। इसमें तीन मूल सांस्कृतिक मूल्य शामिल हैं: ‘वी केयर’—जो आत्म-जागरूकता, समावेशिता और सहानुभूति को प्राथमिकता देता है; ‘वी आर बेटर टुगेदर’—जहाँ विश्वास, सहयोग और उपलब्धियों का सामूहिक उत्सव होता है; और ‘वी आर गेम चेंजर्स’—जो चुनौतियों को स्वीकारने, लचीलापन दिखाने और असर पैदा करने की प्रेरणा देता है।

आईपीएम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर नवनील कर ने कहा, “आईपीएम इंडिया में ग्रोथ माइंडसेट हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो निरंतर सीखने, सहयोग और नवाचार के ज़रिए व्यवसाय को आगे बढ़ाता है। हम अपने कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि वे अपनी विकास यात्रा के प्रति खुद ज़िम्मेदारी लें, वह आज कहाँ हैं, कहाँ पहुँचना चाहते हैं और वहां तक कैसे पहुँचेंगे, इस पर गहराई से विचार करें। इससे उनमें साझा स्वामित्व और ज़िम्मेदारी की भावना विकसित होती है। यह कार्य संस्कृति हमारी उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसके तहत हम एक उद्देश्य-आधारित और कर्मचारी-केंद्रित कार्यस्थल का निर्माण कर रहे हैं।”

आईपीएम इंडिया के डायरेक्टर – पीपल एंड कल्चर किंगशुक दास ने कहा, “हम मानते हैं कि प्रतिभा का विकास व्यवसाय की वृद्धि से अधिक तेज़ होना चाहिए। टैलेंट निर्माण सफलता की नींव है, और हम कर्मचारियों को ऐसे टूल्स और अवसर देना चाहते हैं, जो उन्हें अपनी करियर यात्रा खुद तय करने में सक्षम बनाएं। जब हम लोगों में निवेश करते हैं, तो हम एक ऐसी टीम तैयार करते हैं जो जुड़ी हुई हो, अनुकूलनशील हो और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो। हमारी कार्य संस्कृति में जिज्ञासा, धैर्य और निरंतर सीखने को बढ़ावा दिया जाता है। जितना हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से आगे बढ़ते हैं, उतना ही ज़्यादा प्रभाव डाल सकते हैं और भविष्य को आकार दे सकते हैं।”

हाल ही में पीएमआई को वॉल स्ट्रीट जर्नल की ‘मैनेजमेंट टॉप 250’ वार्षिक रैंकिंग में शीर्ष 10 कंपनियों में स्थान मिला है। साथ ही, आईपीएम इंडिया को लगातार चार वर्षों से ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क’ और लगातार पांच वर्षों से ‘टॉप एम्प्लॉयर’ सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है।

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