थाईलैंड ई-सिगरेट्स पर एडहॉक समिति ने ई-सिगरेट की समस्या से निपटने के लिए 3 नीतिगत विकल्पों का प्रस्ताव दिया
पार्टी फॉर थाईलैंड से फ्रै के सांसद और विशेष संसदीय समिति के चेयरपर्सन, श्री नियोम वियराथंडिथकुल को देश में ई-सिगरेट का नियंत्रित करने के लिए कानूनों व उपायों का अध्ययन करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने 13 जून को ई-सिगरेट की समस्या को संबोधित करने के लिए तीन विकल्पों का प्रस्ताव दिया:
- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध जारी रखना और मौजूदा कानूनों को कठोर बनाना,
- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध बनाए रखते हुए हीटेड तंबाकू उत्पादों (एचटीपी) को रेगुलेट करना।
- ई-सिगरेट और एचटीपी, दोनों को रेगुलेट करना।
समिति के रुख के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके 35 सदस्य विभिन्न राज्य एजेंसियों, नागरिक संगठनों, संबंधित कार्यालयों और ई-सिगरेट के अनुभवी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। समिति द्वारा विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया और स्वास्थ्य, समाज, बच्चों एवं युवाओं तथा अर्थव्यवस्था एवं कानून प्रवर्तन पर इसके बहुआयामी प्रभावों का मूल्यांकन किया गया। समिति ने थाईलैंड की वास्तविक स्थिति पर गौर किया, जिसमें ई-सिगरेट लंबे समय से एक बड़ी सामाजिक समस्या है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य राष्ट्र कल्याण है, और इस बात पर जोर दिया कि बच्चों एवं युवाओं की सुरक्षा इस समिति की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
नियोम ने कहा कि यद्यपि ई-सिगरेट वर्तमान में थाईलैंड में अवैध हैं, लेकिन फिर भी उनका उपयोग व्यापक तौर पर हो रहा है। इसलिए समिति को थाईलैंड की परिस्थितियों, वास्तविकता, और संदर्भ के आधार पर उचित नियामक और नियंत्रण के उपाय तलाशने होंगे। इसके लिए समिति ने दो उप समूहों का गठन किया है, जिनमें से एक समूह नियामक उपायों पर विचार करेगा और दूसरा समूह रिपोर्ट तैयार करेगा। समिति की दृष्टिकोण स्वतंत्र एवं थाईलैंड के विशेष संदर्भ पर आधारित होगा। यह अध्ययन पूरा होने के बाद इसके परिणाम हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स के समक्ष रखे जाएंगे ताकि कार्यकारी समिति या सरकार अपने द्वारा चयनित दृष्टिकोण पर आगे के निर्णय ले सकें।
फ्यू थाई पार्टी से सांसद, समिति के सेक्रेटरी और थाईलैंड में ई-सिगरेट के नियमन पर उप समिति के अध्यक्ष, डॉ. ह्यूमन लीथिराप्रैसर्ट ने कहा कि इस विषय में कार्य कर रही टीम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा और बच्चों एवं अव्यस्कों तक ई-सिगरेट की पहुँच को रोकने की जरूरत को समझती है। फिर भी उपसमिति को मौजूदा कानूनों में कमियाँ दिखाई दी हैं, और इसलिए 3 नीतिगत विकल्प तैयार किए गए हैं, जिसका प्रस्ताव मुख्य समिति को दिया जाएगाः
1. ई-सिगरेट के उपयोग पर प्रतिबंध, जो या तो मौजूदा कानूनों में संशोधन द्वारा लगाया जाए, जिसमें वाणिज्य मंत्रालय द्वारा घोषणाओं और उपभोक्ता संरक्षण बोर्ड के आदेशों द्वारा उन्हें स्पष्ट करना और उनका दायरा बढ़ाकर ई-सिगरेट रखने और उत्पादन तक ले जाना शामिल है; या फिर जो संबंधित अधिनियम में संशोधन कर ई-सिगरेट को अवैध वस्तुओं की सूची में रखकर किया जाए, जिसके बाद ई-सिगरेट का उत्पादन, आयात, उसे रखना, उसका विज्ञापन, और वेपिंग गैरकानूनी हो जाएगा।
2. हीटेड तम्बाकू उत्पादों, या हीट-नॉट-बर्न उत्पादों को संबंधित कानूनों में संशोधन कर नियंत्रित वस्तुओं की सूची में रखा जाए, जिसमें वाणिज्य मंत्रालय की घोषणाएं और उपभोक्ता संरक्षण बोर्ड कार्यालय के आदेश शामिल हों, और उन्हें उन तम्बाकू उत्पादों की सूची में रखने का एक नया कानून पेश किया जाए, जो एक्साईज़ टैक्स अधिनियम के अंतर्गत एक्साईज़ के दायरे में आते हैं और उन पर वही पहुँच, विज्ञापन और संचार के प्रतिबंध लागू हों, जो अन्य तम्बाकू उत्पादों पर लागू होते हैं।
3. ई-सिगरेट और हीटेड तम्बाकू उत्पादों को संबंधित कानूनों में संशोधन कर नियंत्रित वस्तुओं की सूची में रखा जाए और उन्हें कठोर नियमों के अंतर्गत लाया जाए।
ये तीनों समाधान जल्द ही मुख्य समिति को प्रस्तावित किए जाएंगे।
उपसमिति ने ‘‘ई-सिगरेट’’, ‘‘ई-लिक्विड’’, ‘‘ई-सिगरेट ईक्विपमेंट’’ और ‘‘हीटेड तम्बाकू उत्पाद’’ जैसे शब्दों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की सिफारिश भी की ताकि कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। उपसमिति ने संबंधित कानूनों की उनकी प्रभावशीलता के आधार पर समीक्षा किए जाने और हर उपाय को ज्यादा गंभीरता से लागू किए जाने की सिफारिश भी की ताकि बच्चे और अव्यस्क ई-सिगरेट तक नहीं पहुँच सकें।
अंत में समिति के सभी 35 सदस्य, जिनमें सरकार और विपक्ष के प्रतिनिधि शामिल हैं, ऐसे समाधान के लिए मतदान करेंगे, जिसका समिति पालन करेगी। बहुमत और अल्पमत, दोनों विचारों पर गौर किया जाएगा और समिति की हर राय को रिकॉर्ड करके संसद के समक्ष रखा जाएगा।