“आउटफिट आपके मुताबिक होना चाहिए, न कि आपको आउटफिट के मुताबिक ढलना चाहिए” – कलर्स के ‘मेरी भव्य लाइफ’ में प्लस साइज फैशन पर प्रिशा धतवालिया का बेबाक बयान

“आउटफिट आपके मुताबिक होना चाहिए, न कि आपको आउटफिट के मुताबिक ढलना चाहिए” – कलर्स के ‘मेरी भव्य लाइफ’ में प्लस साइज फैशन पर प्रिशा धतवालिया का बेबाक बयान

कलर्स के शो मेरी भव्य लाइफ में जल्द ही शादी की शहनाइयाँ गूंजने वाली हैं, क्योंकि भव्या (प्रिशा धतवालिया का किरदार) और ऋशांक (करण वोहरा) अपनी शादी की तैयारियों में जुटे हैं – रस्मों, उत्साह और उस खास ब्राइडल आउटफिट की तलाश का खूबसूरत दौर। बहुतों के लिए यह एक ऐसा सपना होता है जो पेस्टल रंगों, लाल चुनरियों या अपने मनचाहे अंदाज़ में रंगा होता है। लेकिन इन चमकते सिक्विन्स और रेशमी कपड़ों के पीछे एक खामोश जद्दोजहद भी होती है, जो अक्सर नज़रअंदाज़ कर दी जाती है। जहां अधिकतर दुल्हनें अपने वेडिंग लुक के सपने देखती हैं, वहीं प्लस साइज महिलाएं अक्सर एक अलग हकीकत का सामना करती हैं। मेरी भव्य लाइफ के वर्तमान ट्रैक में भव्या को ऋशांक की माँ साक्षी के मानसिक खेलों का शिकार बनना पड़ता है। साक्षी उसे जबरदस्ती एक ऐसा ड्रेस पहनने को मजबूर कर देती हैं जो साफ़ तौर पर बहुत टाइट है, जिससे भव्या को आखिरी समय में उसमें बदलाव करवाने पड़ते हैं ताकि वह सहज महसूस कर सके। लेकिन साक्षी की योजना यहीं खत्म नहीं होती। एक सभा में भव्या का दुपट्टा गिर जाता है और फोटोग्राफर तुरंत तस्वीरें लेने लगते हैं। फिर फुसफुसाहटें और तंज शुरू हो जाते हैं – “ड्रेस फिट नहीं हो रही”, “बांहें अजीब लग रही हैं।” एक खास पल पब्लिक के बीच शर्मिंदगी में बदल जाता है। बॉडी पॉज़िटिविटी की समर्थक बन चुकीं प्रिशा धतवालिया इस तरह की बॉडी शेमिंग पर खुलकर बोलती हैं। वह बताती हैं कि किस तरह यह व्यवहार आम हो गया है और इसका मानसिक प्रभाव उन महिलाओं पर कितना भारी पड़ता है जो तथाकथित “परफेक्ट साइज” की कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं, खासकर जब बात ब्राइडल शॉपिंग की हो।

प्लस साइज ब्राइडल फैशन पर प्रिशा कहती हैं, हर कोई यह बात करता है कि अपनी शादी का आउटफिट खरीदना कितना एक्साइटिंग होता हैरंग, डिज़ाइन, चमकलेकिन कोई यह नहीं बताता कि जब आपको पता हो कि स्टोर की ज्यादातर ड्रेस आपके साइज की नहीं है, तब अंदर ही अंदर कितना डर बैठ जाता है। अचानक विकल्प कम हो जाते हैं। या तो आपको ऐसे आउटफिट मिलते हैं जिनका कोई शेप ही नहीं होता, या फिर कहा जाता है कि आपको अपनी बॉडी को बदलना होगा ताकि आप वो पहन सकें जो आपको पसंद है। यह बहुत ही नाइंसाफी है। शादी के लिए खुद कोबदलनेका दबाव इतना ज्यादा होता हैक्रैश डाइट्स करना, बांहें छिपाना, फोटोज मेंपतलीदिखने की कोशिश करना। कई दुल्हनों को कहते सुना है कि वो तभी ड्रेस खरीदेंगी जब उनका वजन कम हो जाएगा। क्यों? ज़िंदगी के सबसे खुशी भरे पल की शुरुआत शर्म और त्याग से क्यों होनी चाहिए? ब्राइडल आउटफिट आपको सेलिब्रेट करना चाहिएआपको सज़ा नहीं देनी चाहिए। मेरा मानना है कि आउटफिट को आपके हिसाब से फिट होना चाहिए, कि आपको आउटफिट में फिट होने के लिए खुद को बदलना पड़े। हर दुल्हन को यह हक़ है कि वह अपने खास दिन पर खूबसूरत, खास और सहज महसूस करेचाहे उसका साइज कुछ भी हो। आपको खुद को छोटा करके किसी ऐसे फैंटेसी में फिट होने की ज़रूरत नहीं जो हमारो जैसी बॉडीज़ के लिए कभी बनी ही नहीं थी।

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mumbaipatrika

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