कलर्स के ‘शिवशक्ति’ में ‘महाकालेश्वर’ और ‘ओंकारेश्वर’ की पौराणिक कहानी देखें – इन प्रतिष्ठित मंदिरों के इतिहास के बारे में जानें

कलर्स के ‘शिवशक्ति’ में ‘महाकालेश्वर’ और ‘ओंकारेश्वर’ की पौराणिक कहानी देखें – इन प्रतिष्ठित मंदिरों के इतिहास के बारे में जानें

कलर्स के ‘शिव शक्ति – तप त्याग तांडव’ में भक्ति और कर्तव्य का कॉस्मिक डांस अपने चरम पर पहुंच गया है, क्योंकि महादेव से पुनर्मिलन की ओर पार्वती की यात्रा उन्हें दो ज्योतिर्लिंगों – महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर तक ले जाती है, जहां समय और भ्रम की शक्तियों से शिव और शक्ति के बीच का पवित्र बंधन खतरे में पड़ गया है। शिव के रूप में राम यशवर्धन और पार्वती की भूमिका में सुभा राजपूत अभिनीत, यह पौराणिक गाथा प्रेम, त्याग और आध्यात्मिक धैर्य के कालातीत विषयों को पेश कर रही है।

आगामी एपिसोड्स में, दर्शक देखेंगे कि पार्वती को अपनी अब तक की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महाकालेश्वर में, वह खुद को दुशनकाल द्वारा बनाए गए समय के चक्र में फंसा पाती है। दुशनकाल एक भयानक शक्ति है जो समय के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करके उसमें बदलाव कर सकता है। जैसे-जैसे यह उथलपुथल बढ़ती है, महादेव पर पार्वती की अटूट आस्था ही उनका एकमात्र अस्त्र बन जाती है। अपनी पूरी शक्ति और भक्ति से उनका नाम जपते हुए, वह अपने शाश्वत प्रेम का आह्वान करती हैं। उनके आह्वान का जवाब देते हुए, महादेव समय और विनाश के देवता महाकाल के रूप में प्रकट होते हैं, और अपने ब्रह्मांडीय क्रोध के एक ही प्रहार से दुशनकाल को नष्ट कर देते हैं, संतुलन पुन: स्थापित करते हैं और इस प्रकार से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना होती है – जो नवीनीकरण और श्रेष्ठता का स्थायी प्रतीक है।

लेकिन पार्वती का सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। अपनी यात्रा में आगे बढ़ते हुए वह ओंकारेश्वर पहुंचती हैं, जहां उन्हें एक बहुत ही खतरनाक दुश्मन का सामना करना पड़ता है – जो केवल क्रूर बल से ही नहीं, बल्कि चालाकी और छल से भी भरा हुआ है। दुष्ट मोहासुर, मायावी असुर, गणेश पर एक शक्तिशाली जादू करता है, जिससे उनके दिमाग में झूठे विज़न और संदेह पैदा होने लगते हैं। धोखे के जाल में फंसकर, गणेश को यह विश्वास हो जाता है कि पार्वती की यात्रा बर्बाद हो चुकी है और उन्हें अपने लक्ष्य को बीच में ही छोड़ना होगा। भ्रम से ग्रसित होकर, वह व्यथित हो जाते हैं, और समझ नहीं पाते हैं कि असली क्या है और नकली क्या। अपने आस-पास फैले भ्रम से अनजान, पार्वती ओंकारेश्वर के पवित्र मंदिर में प्रवेश करती हैं और ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाकर अभिषेक करती हैं। उनकी भक्ति मोहासुर की माया को खत्म करते हुए, इस झूठ के जाल को तोड़ देती है।

इस मनोरंजक ट्रैक के बारे में बताते हुए, अभिनेत्री सुभा राजपूत कहती हैं, मुझे लगता है कि अगर हम इस शो में निहित मूल्यों से फिर से जुड़ें, तो हम पुन: समझ पाएंगे कि प्यार करने और प्यार पाने का सही मतलब क्या है। क्योंकि हर रिश्ते के मूल में साथ चलने की प्रतिबद्धता होती है, भले ही रास्ता कठिन क्यों हो। पार्वती की महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर तक की यात्रा केवल एक भौतिक तीर्थयात्रा नहीं हैयह उन परीक्षाओं का रूपक है, जिनका सामना हम सभी जीवन और प्रेम में करते हैं। जिस तरह से शिव अपने धर्मअपने आलौकिक कर्तव्य के प्रति समर्पित हैंपार्वती अपनी भक्ति में अडिग रहती हैं। यह हमारे अपने रिश्तों का प्रतिबिंब है, हमें याद दिलाता है कि प्यार केवल खुशियों भरे पलों के बारे में नहीं है, बल्कि परीक्षाओं और उथलपुथल के दौरान एकदूसरे का साथ देने के बारे में है। शो का यह दमदार ट्रैक सभी को याद दिला सकता है कि कोई भी अंधकार हमेशा के लिए नहीं रहता है। ओम नमः शिवाय… ”

देखियेशिव शक्तितप त्याग तांडवहर सोमवार से रविवार रात 8:00 बजे, केवल कलर्स पर।

mumbaipatrika

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