‘ज़ी रिश्तों का मेला’ के मंच पर, जब शगुन पांडे की मां ने उन्हें सबसे प्यारा दिवाली सरप्राइज़ दिया, तो भर आईं उनकी आंखें
ज़ी टीवी अपने नए ब्रांड प्रॉमिस ‘आपका अपना ज़ी टीवी’ के साथ लगातार मनोरंजन के रूप बदल रहा है। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए और दिल छू जाने वाली कहानियों को दर्शकों के और करीब लाते हुए चैनल लेकर आया है ज़ी रिश्तों का मेला – एक अनोखा, जोश से भरा जश्न, जो अपने सबसे पसंदीदा शोज़ के सितारों को सीधे दर्शकों से मिलवाता है। यह दिवाली स्पेशल इवेंट मुंबई में ज़बर्दस्त ऑन-ग्राउंड एक्सपीरियंस के साथ शुरू हुआ, जिसमें जोशीले परफॉर्मेंस, प्यारे लम्हे और फैंस के साथ दिल छू लेने वाले पल देखने को मिले।
जब पूरा ज़ी टीवी परिवार एक रंगीन छत के नीचे इकट्ठा हुआ, तो सेट पर एक ऐसा पल आया जिसने सभी को भावुक कर दिया। इस मौके सरू के एक्टर शगुन पांडे, जो शो में वेद का किरदार निभा रहे हैं, को उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सरप्राइज़ मिला। शूट के बीच में ही शगुन की आंखें भर आईं, जब उनकी मां अचानक सेट पर पहुंच गईं। जज़्बातों से भरे उस पल में शगुन खुद को रोक नहीं पाए और मां को गले लगाकर फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने कहा कि यह उनके सफर के सबसे खास पलों में से एक था।
शगुन के लिए यह सिर्फ एक सरप्राइज नहीं था, बल्कि यह याद दिलाने वाला पल था कि वो कितनी दूर तक आ चुके हैं। अपने सपनों को पूरा करने पंजाब से मुंबई आए शगुन आज भी याद करते हैं कि कैसे उनकी मां हमेशा उनके साथ एक मज़बूत सहारा बनकर खड़ी रहीं। जब किसी को उनके सपने पर भरोसा नहीं था, तब सिर्फ उनकी मां ही थीं जिन्हें पूरा विश्वास था कि वो ज़रूर सफल होंगे। हर साल शगुन दिवाली मनाने अपने घर जाते हैं, लेकिन इस बार सरू की शूटिंग की वजह से यह संभव नहीं हो पाया। बेटे को उदास देखकर उनकी मां ने तय किया कि वो खुद मुंबई आकर उसे सरप्राइज देंगी – और यही पल शगुन के लिए सबसे अनमोल बन गया।

शगुन पांडे ने कहा, “जब मैं पंजाब से मुंबई आया था, मेरे पास सिर्फ एक सपना था और मेरी मां का मुझ पर विश्वास। वो ही थीं जो मानती थीं कि मैं कर पाऊंगा, जब मैं खुद पर भरोसा नहीं करता था। मुझे आज भी याद है जब काम नहीं मिल रहा था, तो वो कहती थीं, ‘बस मेहनत करता रह, तेरा वक्त ज़रूर आएगा।’ उनकी यही बातें मुझे हर मुश्किल वक्त में संभालती रहीं। हर साल मैं दिवाली पर घर जाता हूं क्योंकि वो हमारा सबसे प्यारा वक्त होता है, लेकिन इस बार शूट की वजह से जाना संभव नहीं था। मैं उन्हें बहुत याद कर रहा था। मुझे बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि वो मुझे सरप्राइज देने आ जाएंगी। जैसे ही मैंने उन्हें अंदर आते देखा, मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े। ऐसा लगा जैसे ज़िंदगी का एक पूरा चक्र पूरा हो गया – जब उन्होंने मुझे मुंबई भेजते वक्त मेरा बैग पैक किया था, और अब वही मां मेरे सपनों को जीते हुए देख रही थीं। उस पल ने मुझे याद दिलाया कि मैं कहीं भी चला जाऊं, कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाऊं, मेरी मां हमेशा मेरा घर रहेंगी।”
ऐसे ही पल ‘ज़ी रिश्तों का मेला’ की असली पहचान हैं – रिश्तों, एहसासों और उन अपनत्व भरे बंधनों का जश्न, जो ज़िंदगी को खूबसूरत बनाते हैं।
देखना न भूलें ज़ी रिश्तों का मेला – अपनोत्सव दिवाली स्पेशल, 19 अक्टूबर, रविवार, रात 8 बजे से सिर्फ ज़ी टीवी पर।
